उत्तराखण्ड, जो २००७ तक उत्तराञ्चल के नाम से जाना जाता था, उत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है।
क्षेत्र
सम्पादननगर
सम्पादनउत्तराखण्ड के प्रमुख नगर निम्नलिखित हैं:
- 1 देहरादून — राज्य की राजधानी। अपने बोर्डिंग स्कूलों के लिए यह "भारत का ऑक्सफ़ोर्ड" कहलाता है।
- 2 नैनीताल — नैनी झील के इर्द गिर्द बसा एक सुन्दर हिल स्टेशन।
- 3 हरिद्वार — गंगा तट पर स्थित एक पवित्र नगर, और कुंभ मेले का एक स्थल, जो दुनिया का सबसे बड़ा त्योहार है।
- 4 अल्मोड़ा — कुमाऊँ क्षेत्र के मध्य बसा एक ऐतिहासिक नगर।
- 5 मसूरी — देहरादून के निकट स्थित प्रसिद्ध हिल स्टेशन, जो अपनी सुंदरता और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है।
- 6 रानीखेत — कुमाऊँ रेजिमेंट का केंद्र, अपने गोल्फ मैदान तथा सुंदरता के लिए विख्यात।
- 7 ऋषिकेश — विश्व की योग राजधानी
- 8 पिथौरागढ़ — चीन तथा नेपाल सीमा के समीप स्थित एक प्रमुख नगर।
अन्य स्थल
सम्पादन- 6 चौकोड़ी — सुन्दर पहाड़ी स्टेशन, जहाँ से नंदा देवी पर्वत शृंखला के सर्वश्रेष्ठ दृश्य देखे जा सकते हैं।
- 7 कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान — भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान
- 11 फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान — अपनी उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता, लुप्तप्राय जानवरों और स्थानिक अल्पाइन फूलों के लिए प्रसिद्ध है
समझें
सम्पादनउत्तराखण्ड, जो हिमालय क्षेत्र में है, देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहाँ कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें हिल स्टेशनों से लेकर लोकप्रिय नगर और तीर्थ स्थल भी शामिल हैं।
बात करें
सम्पादनहालांकि राज्य की स्थानीय भाषाएं कुमाउँनी और गढ़वाली हैं, लेकिन हर कोई हिंदी भी बोलता है। अंग्रेजी भाषा आम नहीं है, लेकिन राज्य के कुछ हिस्सों में अच्छी तरह से समझी और बोली जाती है।
प्रवेश करें
सम्पादनराज्य में प्रवेश विभिन्न नगरों से होता है। गढ़वाल क्षेत्र में प्रवेश सहारनपुर से देहरादून-मसूरी के रास्ते से, रुड़की से हरिद्वार-ऋषिकेश के रास्ते से या बिजनौर से कोटद्वार नगर के रास्ते से हो सकता है। हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुए, जबकि कोटद्वार से लैंसडौन होते हुए आप गढ़वाल के भीतरी हिस्सों में पहुँच सकते हैं। कुमाऊँ क्षेत्र में प्रवेश मुरादाबाद से काशीपुर-रामनगर के रास्ते से, रामपुर से रुद्रपुर-पंतनगर के रास्ते से, बरेली से किच्छा-हल्द्वानी के रास्ते से तथा पीलीभीत से खटीमा-टनकपुर के रास्ते से होता है।
भीतर घूमें
सम्पादन- देहरादून के रास्ते से प्रवेश कर आप मसूरी, चकराता, बड़कोट, यमुनोत्री की ओर घूम सकते हैं।
- हरिद्वार के रास्ते से प्रवेश कर आप ऋषिकेश, टिहरी, उत्तरकाशी, गंगोत्री की ओर घूम सकते हैं।
- कोटद्वार के रास्ते से प्रवेश कर आप लैंसडौन, सतपुली, पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ की ओर घूम सकते हैं।
- रामनगर के रास्ते से प्रवेश कर आप रानीखेत, चौखुटिया, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, औली, बद्रीनाथ की ओर घूम सकते हैं।
- हल्द्वानी के रास्ते से प्रवेश कर आप नैनीताल, अल्मोड़ा, कौसानी, बागेश्वर, चौकोड़ी, मुनस्यारी की ओर घूम सकते हैं।
- टनकपुर के रास्ते से प्रवेश कर आप चम्पावत, लोहाघाट, पिथौरागढ़, अस्कोट, जौलजीबी, धारचूला की ओर घूम सकते हैं।
खाएं
सम्पादनपहाड़ी खाना बहुत सरल, लेकिन बहुत ही पौष्टिक होता है, जो कि हिमालय के कठिन माहौल के लिए उपयुक्त भी है। गहत जैसी दालों का प्रमुखतः प्रयोग रस-भट्ट, छैण, फाणा और ठटवानी जैसी अलग-अलग व्यंजनों में होता है। दाल को दही में पका कर बनाया जाने वाला झोली अन्य प्रमुख व्यंजन है।
- आलू गुटुक और पिनालू गुटुक को तले हुए आलू या पिनलू में विभिन्न मसाले मिलकर तैयार किया जाता है।
- बाल मिठाई भुने हुए खोये से बनता है, और फिर इसपे सफेद चीनी की गेंदों का लेप लगाया जाता है।
- भट्ट की चुड़कानी भट्ट की दाल से तैयार एक तरह का सूप है, इसे चावल के साथ खाया जाता है।
- छैण बनाने के लिए उड़द की दाल को पहले भून कर पीसा जाता है, और फिर सूप की तरह पकाया जाता है।
- डुबका एक साधारण पकवान है जो विभिन्न दालों के बना होता है।
- कापा एक पकवान है, जिसे पालक के पेस्ट को अन्य मसालों के साथ पकाकर बनाया जाता है।