भारत के उत्तरी हिस्से के मैदानों के बीचोबीच स्थित एक राज्य है। विविध ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की चीजें देखने लायक।
भारत का प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण ताजमहल, प्रसिद्ध शहर वाराणसी (बनारस), गंगा-यमुना का इलाहाबाद (प्रयाग) में संगम और बौद्ध तीर्थ सारनाथ तथा कुशीनगर इसी राज्य में स्थित हैं। खुद राजधानी लखनऊ की ऐतिहासिक विरासत महत्वपूर्ण है और बहुत सी पुरानी बिल्डिंगें दर्शनीय हैं। कई पक्षी विहार और दुधवा नेशनल पार्क प्राकृतिक दृश्यावलोकन के लिए बेहतरीन हैं।
क्षेत्र
सम्पादनअवध राज्य का बिचला इलाका, राजधानी लखनऊ भी इसी में स्थित है। |
दोआब गंगा और यमुना नदियों के बीच का भाग; पश्चिमी और दक्षिणपश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित। |
उत्तरी बुन्देलखण्ड राज्य का दक्षिणपश्चिमी हिस्सा। |
पूर्वांचल दक्षिणपूर्वी हिस्सा। |
रुहेलखण्ड पश्चिमी उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग। |
शहर
सम्पादनयहाँ के नौ प्रमुख शहर निम्नलिखित हैं:
- 2 आगरा — भारत की पर्यटन राजधानी; ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध, जिनमें से एक विश्व प्रसिद्ध ताज महल भी है।
- 3 इलाहाबाद — धार्मिक और शैक्षणिक महत्व का नगर; पवित्र गंगा, यमुना और मिथकीय सरस्वती नदियों के संगम और कुंभ मेला के लिए प्रसिद्ध।
- 4 अयोध्या — राम की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध धार्मिक नगरी; पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव की भी जन्मस्थली माना जाता है।
- 5 कुशीनगर — बौद्ध धर्म के चार पवित्रतम तीर्थ स्थलों में से एक, जहाँ गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ।
- 6 कानपुर — "उत्तर भारत का मानचेस्टर" कहा जाने वाला शहर, जो चमड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध, आईआईटी भी यहाँ स्थित है।
समझ बढ़ायें
सम्पादनउत्तर प्रदेश अपने 19.96 करोड़ लोगों के साथ भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। लखनऊ यहाँ की राजधानी है और यह क्षेत्रफल के हिसाब से भी भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो 240,928 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला है।
उत्तर भारत के मैदानी इलाके के बीचोबीच स्थित यह राज्य गंगा, यमुना, गोमती और सरयू नदियों द्वारा लायी मिटटी से बना एक लगभग समतल हिस्सा है। इसी कारण प्राचीन काल से ही यहाँ खेती का विकास हुआ और सघन जनसंख्या का बसाव हुआ। वर्तमान समय में भी यहाँ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खेती ही है। यहाँ के उद्योगों में गन्ने से चीनी बनाना, सूती वस्त्र उद्योग और कृषि आधारित विविध खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग शामिल हैं।
मुगलों की केन्द्रीय सत्ता कमजोर होने के बाद एक समृद्ध राज्य के रूप में उभरे अवध प्रांत के रूप में शासित उत्तर प्रदेश अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। लखनऊ और आगरा जैसे ऐतिहासिक महत्त्व के शहर घूमने लायक हैं।
हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख आराध्यों में से दो राम और कृष्ण, परंपरानुसार माना जाता है कि क्रमशः अयोध्या और मथुरा में जन्मे थे। इनके अलावा वाराणसी और इलाहाबाद (प्रयाग) विश्व प्रसिद्ध धार्मिक महत्व के नगर हैं। अवध के नवाबों के काल में हिन्दू-मुस्लिम सांस्कृतिक लक्षणों के घुलमिल कर एकाकार हो जाने से एक ख़ास किस्म की संस्कृति का जन्म हुआ जिसे गंगा-जमुनी तहज़ीब कहा जाता है। भारतीय नृत्य की सबसे प्रचलित विधा, कथक का जन्म उत्तर प्रदेश में ही हुआ और संगीत के क्षेत्र में यहाँ उल्लेखनीय योगदान रहा है।
परम्परागत रूप में उत्तरी पश्चिमी हिस्से में लकड़ी के सामान, लखनऊ का चिकन (एक तरह का कपडा) और बनारस की ज़रदोज़ी (कढ़ाई की कला) के सामान, कालीन, बाँस और मूँज (ऊँची घास) के इस्तेमाल से बनी डलिया इत्यादि हस्तशिल्प की चीजें यहाँ खरीदने लायक हैं।
हिन्दी भाषा का गढ़ भी यही है। हिंदी यहाँ की अधिकारिक भाषा है, मध्य भाग में अवधी और दक्षिणी भाग में बुन्देली तथा बघेली बोलियाँ बोली जाती हैं; पूर्वांचल की स्थानीय भाषा भोजपुरी है।
इतिहास
सम्पादनउत्तर प्रदेश का एक समृद्ध इतिहास रहा है। पश्चातवर्ती वैदिक काल की सभ्यता के साक्ष्य पुरातात्विक खनन में यहाँ के विभिन्न हिस्सों से मिले हैं। महाजनपद काल में यह इलाका कुरु, मत्स्य और वत्स तथा कोसल का हिस्सा रहा है। बाद के समय में मगध साम्राज्य के अंतर्गत यह इलाका आता था। मौर्य एवं गुप्त काल के अवशेष आज भी विभिन्न स्थानों पर देखे जा सकते हैं।
मुगलों के काल में और बाद में अवध के नवाबों के दौर में इस प्रदेश की अपनी एक अलग पहचान रही। इसी दौर में यहाँ हिंदू-मुसलमान लोगों की मिली जुली एक ख़ास संस्कृति विकसित हुई जिसे गंगा-जमुनी तहज़ीब के नाम से जाना जाता है।
अंग्रेजों के शासन काल में भी इस क्षेत्र का काफ़ी महत्व रहा और लखनऊ और इलाहाबाद जैसे शहर कई मायनों में अंगरेजी शासन के दौरान बहुत महत्व के शहर रहे हैं।
संस्कृति
सम्पादनउत्तर प्रदेश की संस्कृति एक बहुलतावादी सामासिक संस्कृति है जो इस क्षेत्र के इतिहासी विकास का परिणाम है। लगभग हिंदू और इस्लामी त्यैहार यहाँ धूमधाम से मनाये जाते हैं तथा इलाहाबाद और लखनऊ एवं कुछ अन्य शहरों में क्रिसमस इत्यादि का ख़ास महत्त्व है। होली, दीवाली, दशहरा, रमजान, ईद और क्रिसमस इलाके के प्रमुख त्योहार हैं। इनके अलावा स्थानीय मेलों और पर्वों की भी अत्यंत बहुलता है।
आम पहनावा बुजुर्गों में धोती-कुरता, कुरता पायजामा और स्त्रियों में साड़ी, सलवार-कुरता इत्यादि हैं। आधुनिक पीढ़ी के लोग पेंट-बुशर्ट और जींस-टीशर्ट पहनते हैं।
संगीत और नृत्य के मामले में इसका अपना अलग ही मुक़ाम रहा है। कथक यहाँ का प्रमुख नृत्य है। ठुमरी, दादरा, कजरी इत्यादि यहाँ की सेमी-क्लासिकल गायकी के लिए मशहूर चीजें हैं। उत्तर भारतीय, यानी हिंदुस्तानी संगीत के कई घराने (स्कूल्स) यहाँ उत्तर प्रदेश से हैं जिनमें बनारस घराना, लखनऊ घराना, आगरा घराना, ग्वालियर घराना इत्यादि महत्वपूर्ण हैं।
मौसम और जलवायु
सम्पादनउत्तर प्रदेश का मौसम खास उत्तर भारतीय मौसम की तरह ही होता है। साल में चार स्पष्ट ऋतुएँ होती हैं: जाड़ा, मध्य नवंबर से मध्य फरवरी तक; मध्य फरवरी से मध्य अप्रैल तक बसंत; मध्य अप्रैल से जून तक गर्मी और जून के अंत से लेकर अक्टूबर तक बरसात। जाड़ा और गर्मी दोनों खूब पड़ते हैं। जनवरी सबसे ठंडा महीना होता है जब किसी किसी दिन न्यूनतम तापमान शून्य से भी नीचे जा सकता है, हालाँकि आमतौर पर यह पाँच डिग्री सेल्सियस तक गिरता है। गर्मियों में मई का अंत और जून की शुरूआत के कुछ दिनों के दौरान अधिकतम तापमान पैंतालीस डिग्री पार कर जाता है। गर्मियों की ख़ास विशेषता यहाँ चलने वाली "लू" है। ये पछुवा हवाएँ अत्यधिक गर्म होती हैं और हर साल इनके कारण कुछ मौतें भी दर्ज की जाती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसूनी हवाएँ 15 जून के आसपास पहुँचती हैं और लगभग 25 जून तक इनका असर पूरे उत्तर प्रदेश पर फैल जाता है, इसके बाद सितंबर तक बरसात का सीज़न रहता है और इलाके में भारी बारिश होती है।
इस तरह, अगर आप घूमने के लिहाज से देखें तो अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक का समय और मध्य फरवरी से अप्रैल तक का समय सर्वोतम है जब मौसम सुहाना रहता है; न तो बहुत गर्मी होती है न जाड़ा। इस समय आप हलके कपड़ों के साथ काम चला सकते हैं और गर्मी भी आपको परेशान नहीं करेगी। बाक़ी अगर आप जाड़े में यहाँ घूमना चाहते हैं तो अपने साथ भारी ऊनी कपड़े और जैकेट इत्यादि अवश्य लें। जाड़ों कि एक अन्य समस्या कोहरा भी है जिसके कारण पूरे उत्तर भारत में चलने वाली रेलगाड़ियाँ प्रभावित होती हैं। कभी-कभी तो स्थिति इतनी ख़राब हो जाती कि ट्रेन रद्द भी हो सकती है। दूसरी ओर गर्मियों में अर्थात मई-जून में दोपहर तक गर्मी और धूप इतनी तेज हो जाती और अंधड़ की तहर लू चलने लगती कि आप बाहर नहीं निकल सकते।
पहुँचें
सम्पादनउत्तर प्रदेश, उत्तर भारत के मैदानी इलाके के स्थित है और यहाँ देश के किसी भी हिस्से से पहुँचना अत्यंत ही आसान है। आप अपनी सुविधानुसार वायु, रेल अथवा सड़क मार्ग से यहाँ पहुँच सकते हैं।
वायु मार्ग से
सम्पादनउत्तर प्रदेश में कई हवाई अड्डे हैं जहाँ के लिए देश और विदेशों से विभिन्न वायु सेवायें उड़ान भरती हैं।
- अमौसी हवाईअड्डा, लखनऊ:
- बाबतपुर हवाईअड्डा, बनारस:
अन्य हवाई अड्डों में, बम्हरौली, इलाहाबाद (अब प्रयागराज) प्रमुख है।
रेल मार्ग से
सम्पादनउत्तर प्रदेश भारतीय रेल के नेटवर्क से भली-भांति जुड़ा हुआ है। दिल्ली से हावड़ा जाने वाला रेल मार्ग सबसे प्रमुख और व्यस्ततम मार्ग है जिसपर कानपुर, इलाहाबाद और बनारस का उपनगर मुग़लसराय स्थित हैं।
लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और इलाहाबाद जैसे शहरों से मुंबई, हैदराबाद और अन्य शहरों के लिए रोज़ाना रेलगाड़ियाँ उपलब्ध हैं।
फरवरी से अप्रैल तक और सितंबर से नवंबर तक जब मौसम सुहाना होता है आप किसी भी रेल में स्लीपर कोच में यात्रा कर सकते हैं। यह सबसे सस्ता विकल्प है। ध्यान दें कि त्यौहारों के समय में रेल रिजर्वरेशन मिलना काफ़ी मुश्किल होता है।
सड़क मार्ग से
सम्पादननई दिल्ली से उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के लिए इंटर-स्टेट बसें चलती हैं।
लखनऊ और इलाहाबाद तक पहुँचने के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नागपुर इत्यादि से कई रात्रि सेवाएँ उपलब्ध हैं।
नेपाल से जुड़े स्थानों के लिए गोरखपुर-सोनौली बस मार्ग काफ़ी प्रमुख मार्ग है।
खाना
सम्पादनउत्तर प्रदेश में स्टैंडर्ड उत्तर भारतीय खाने का प्रचलन है। उत्तर प्रदेश में लगभग हर शहर-कसबे में आपको "थाली" के रूप में एक पूरा भोजन उपलब्ध होता है। एक उत्तर प्रदेशी थाली में दाल, दो तरह कि सब्जियाँ, दो से लेकर पाँच तक रोटियाँ, एक छोटी कटोरी भर चावल और कुछ अचार, चटनी पापड़ में से, इतनी चीजें उपलब्ध होती हैं। सब्जी में आमतौर पर एक सब्जी सूखी होती है और एक करी होती है, यानि रसदार। दाल में आपके पास विकल्प हो सकता है कि आप सादी डाल लें अथवा फ्राई (तड़के वाली)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आपको काली मसूर की डाल भी मिलेगी जो काफ़ी चटाखेदार होती है। रोटियाँ भी तंदूरी और तवे वाली होती हैं, कई बार आप चुन सकते हैं कि आपको किस तरह की रोटी चाहिए।
थाली के अलावा, पनीर के विविध व्यंजन उपलब्ध होते हैं। आप अपनी पसंद कि पनीर की सब्जी, रोटी नान इत्यादि चुनकर अपना कोम्बो बना सकते हैं।
लखनऊ ख़ासतौर से मुगलई पकवानों के लिए जाना जाता है। चिकन और मटन के विविध व्यंजनों के प्रकार आपको मिलेंगे। इसके साथ कबाब के बिबिध रूप और लच्छा पराँठे इत्यादि खासतौर पर बहुत बेहतरीन बनते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में आप बाटी-चोखा का आनंद भी ले सकते हैं। यह आटे की गोलियाँ होती हैं जिन्हें आग पर सेंक कर पकाया जाता है और इसके साथ आलू-बैंगन का चोखा (भरता) और कभी कभी गाढ़ी तड़का लगी डदाल भी सर्व की जाती।
पीना
सम्पादनपीने के लिए यहाँ सभी बड़े शहरों में आधुनिक बार मिल जायेंगे। इसके अलावा मॉडल शॉप्स पर आप उसी दाम में शराब पी सकते हैं जिस दाम में बोतल उपलब्ध होती है। छोटे कस्बों में, सभी शराबें नहीं उपलब्ध होतीं और कहीं बैठकर पीने लायक जगह भी मुश्किल से मिलती है। आप ऐसे होटल में ठहरें जहाँ बार की सुविधा हो तो यह मुश्किल कुछ आसान हो सकती है।
वैसे भी उत्तर प्रदेश में खुलेआम पीना अच्छा आचरण नहीं माना जाता और पब्लिक प्लेस पर शराब पीना मना है। शराब की दुकाने दोपहर बारह बजे के बाद खुलती हैं और रात दस बजे तक ही खुली रहती हैं।
यहाँ के लोगों के आम पेय में सबसे प्रचलित चाय है जो हर नुक्कड़-चौराहे पर आसानी से मिलती है। थोड़ी कोशिस करे तो आप किसी भी कसबे शहर में अच्छी और प्रसिद्ध चाय की दुकाने खोज सकते हैं।
इसके अतिरिक्त जूस, मोसंबी, अनन्नास, और अनार का, हर जगह आसानी से मिल जाएगा। गन्ने का जूस भी काफी प्रचलित पेय है पर यदि आप को आदत नहीं तो इससे आपका पेट ख़राब हो सकता है। सीजनल आइटम में बेल का शरबत, लस्सी, आम का पना और सत्तू का घोल (पूर्वी उत्तर प्रदेश में) आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। हालाँकि, इनमें से कोई पेय ऐसा नहीं जो पहली ही बार में आपको बहुत अच्छा लगे पर धीरे-धीरे आप इन्हें जरूर प्यार करने लगेंगे। बेल का शर्बत और सत्तू सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं और उपरोक्त सभी गर्मियों के दिनों में ख़ास पेय के रूप में उपलब्ध होते हैं।
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सम्पादन- बिहार राज्य उत्तर प्रदेश के पूर्व में स्थित है और ऐतिहासिक पर्यटन और बौद्ध पर्यटन की दृष्टि से यहाँ कई देखने लायक स्थान हैं।
- नेपाल