बाल्टिक देश (अंग्रेज़ी:Baltic states) उत्तर-पूर्व यूरोप के तीन देशों को कहा जाता है जो बाल्टिक सागर के किनारे पर हैं। इन तीन छोटे देशों का लम्बा रुचिकर इतिहास रहा है और हंसियाटिक लीग के समय से यहाँ की प्रभावी संस्कृति रही है। इसके १७५,०१५ वर्ग किमी क्षेत्र में ६३ लाख लोग निवास करते हैं जिनमें से लगभग आधे लोगों का निवास स्थान लिथुआनिया में है।
देश
सम्पादनएस्टोनिया फ़िनलैण्ड के साथ भाषायी जुड़ाव वाला तीन बाल्टिक देशों का प्रमुख नॉर्डिक देश। |
लातविया प्रबल प्रतिवादी देश जिनके पूर्वज जर्मन पृष्ठभूमि के रहे हैं। |
लिथुआनिया विस्तार कर रहा आर्थिक बाजार, यह यूरोप की कुछ सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक क्षेत्र रखता है। |
अन्य क्षेत्र
सम्पादनकैलिनिनग्राद – लिथुआनिया और पौलैण्ड के बीच रूस का एक अजीब छोटा सा टुकड़ा जो बाल्टिक भ्रमण को अतिरिक्त रूचिकर बनाता है। इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए रूसी विजा की आवश्यकता पड़ती है।
नगर
सम्पादनराजधानियाँ
सम्पादनतीनो राजधानियाँ प्राचीन कस्बों की यूनेस्को-सूची में शामिल हैं।
अन्य
सम्पादन- डॉगावपिल्स – लातविया का दूसरा सबसे बड़ा नगर
- कौनस – लिथुआनिया का दूसरा सबसे बड़ा नगर
- क्लैपेदा – लिथुआनिया का शरण स्थल
- लीपाया – लातविया का समुद्रतट वाला नगर जो यहाँ के संगीत के लिए जाना जाता है।
- सियौलिया – अजीब विशेषज्ञता वाले संग्राहलयों के साथ लिथुआनिया का नगर और पार पहाड़ियाँ
- तारतू – कम छात्र खिंचाव वाला एस्टोनिया का दूसरा नगर
अन्य गंतव्य स्थान
सम्पादन- यूरमाला – बाल्टिक सागर पर लातविया का रिसोर्ट कस्बा; मिट्टी वाले समुद्र तटों और ठण्डे जंगलों में गर्मियों में काफी भीड़ खिंचता है।
- सारेमा – एस्टोनिया का सबसे बड़ा द्वीप, विलक्षण गाँवों और मध्यकालीन दुर्गों के साथ हरा परिदृश्य
- क्यूरोनीयाई स्पिट – यूरोप में सबसे अधिक रेतीले टीलों वाला स्थान जो लिथुआनिया और कैलिनिनग्राद ओब्लास्ट की सीमा पर स्थित है।
समझें
सम्पादनबाल्टिक देश विविधता वाले देश हैं और सभी देश अपना अलग-अलग इतिहास और संस्कृति रखते हैं। हालांकि लातविया और एस्टोनिया सदियों से विदेशी अधिपत्य में रहे हैं और लिथुआनिया इस क्षेत्र में बड़ी शक्ति के रूप में रहा है। बाल्टिक देशों की संस्कृति स्कैंडिनेवियाई, जर्मनी, पोलैण्ड और रूस से काफी प्रभावित रही है। बाल्टिक देशों का आधुनिक इतिहास मुख्यतः रूस के द्वारा रूप दिया गया है, क्योंकि १८वीं सदी में यहाँ रूस का साम्राज्य स्थापित हो गया था। बाल्टिक देशों के लोग अपनी प्रबल राष्ट्रीय पहचान रखते हैं और वर्तमान में पश्चिमी दुनिया के साथ अच्छे से एकीकरण में शामिल हैं।
बाल्टिक सागर के इतिहास को चारों तरफ की बड़ी ताकतों (विशेषतः रूस) ने बदला है, उनकी प्रबल राष्ट्रीय पहचान हैं और आज वो पाश्चात्य देशों से काफी समानता रखता है।
इतिहास
सम्पादनबाल्टिक देश बहुत प्रभावशाली इतिहास नहीं रखते। ईसाई, जर्मन और सामंतवाद सभी १३वीं सदी में यहाँ आये। १३वीं सदी में ही लिथुआनिया के ग्रांड डची मध्यकालीन यूरोप में एक बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे। बाल्टिक सागर में डेनमार्क और स्वीडन के आने से पहले तक हंसियाटिक लीग का प्रभुत्व था।
१६वीं सदी में पोलिस-लिथुआनियाई राष्ट्रमंडल ने क्षेत्र को अपने अधीन ले लिया। यह १८वीं सदी के अन्त तक चला। बाल्टिक देशों का क्षेत्र पूरी तरह से रूसी साम्राज्य के अधीन आ गया जिसका वर्तमान लिथुआनिया का एक छोटा सा हिस्सा प्रशिया के अधीन था।
रूस की क्रान्ति के कारण रूस प्रथम विश्व युद्ध से पहले ही बाहर हो जाने के बाद नवनिर्मित सोवियत संघ ने इस क्षेत्र पर अपने अधिकार को त्याग दिया जिससे वर्तमान देशों का निर्माण हुआ। प्रशिया भी प्रथम विश्वयुद्ध के बाद काफी छोटा हो गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् वहाँ की जनता के भारी विरोध के बावजूद सोवियत संघ ने इन्हें अपने अधीन ले लिया। नाज़ी लोगों ने बाल्टिक विभाग पर सोवियत विरोधी भाव व्यक्ति किया जिसने उन्हें सभी यहूदी क्षेत्रों में फैलने में सहायता प्रदान की। वर्ष १९४४ में सोवियत ने बाल्टिक देशों पर पुनः कब्जा कर लिया और इस कदम को पश्चिम के देशों ने गैर-कानूनी बताया लेकिन शीत युद्ध कुटनीति के कारण इसे सहन कर लिया गया। वर्ष १९९०–९१ में, सोवियत संघ समाजवादी गणराज्य के टूटने के कारण बाल्टिक देश केन्द्रीय सरकार से अलग हो गये। वो मास्को से हटकर २००४ में यूरोपीय संघ और नाटो से जुड़ गये। बाल्टिक देश यूरोज़ोन (यूरो मुद्रा वाले देश) में भी शामिल हो गये जिनमें सबसे अन्तिम देश लिथुआनिया है जो वर्ष २०१५ में जुड़ा।
बाल्टिक देश अपनी स्वतंत्रता से ही तेज आर्थिक विकास रखते हैं; जबकि २००८ के आर्थिक संकट ने इनपर गहरा असर डाला जिससे वो बाहर निकल रहे हैं। वर्ष २०१७ में, संयुक्त राज्य अमेरिका के सांख्यिकी विभाग ने बाल्टिक देशों का श्रेणीकरण बदलकर पूर्वी यूरोप से उत्तरी यूरोप में कर दिया।
जातिय सफाई के विषय कलिनिंग्राड और मॉस्को के रूसी लोयल द्वारा सोवियत संघ के विघटन के बाद इन्हें स्वतंत्र देशों के रूप में स्वीकृत किया।
धर्म
सम्पादनपारम्परिक ईसाई धर्म का लुथर सम्बन्ध अधिकतर लातविया और एस्टोनिया में है तथा कैथोलिक मत पूर्वी लातविया और लिथुआनिया में है। साम्यवाद और पश्चिमी दुनिया में धार्मिक हानि के कारण पारम्परिक सम्बंधों को नष्ट करने का कार्य किया है: एस्टोनिया में ४९% लोग भगवान में विश्वास नहीं करते; लिथुआनिया में ४९% लोग समान विचार रखते हैं। बहुत कम लोग पादरी में विश्वास रखते हैं, उदाहरण के लिए रोमुवा मत शायद देखने को मिल सकता है क्योंकि यह यूरोप के उन अन्तिम क्षेत्रों में से एक है जिनका अन्त में ईसाईकरण किया गया था।
बातचीत
सम्पादनसभी तीनों देश अपनी अलग-अलग भाषा रखते हैं और सब में रूसी भाषा द्वितीय भाषा के रूप में है और कुछ नगरों में यह प्रथम भाषा भी है। अंग्रेज़ी भी व्यापक रूप से, मुख्यतः युवा लोगों और अकादमिकों द्वारा बोली जाती है। वर्ष १९८० और उसके बाद नगरों में जन्मे लोग सामान्यतः अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह हैं। यहाँ के लोग अक्सर जर्मन भाषा को भी समझते हैं। किसी भी स्थान पर वहाँ की स्थानीय भाषा को अत्यधिक पसन्द किया जाता है।
एस्टोनियाई भाषा फिनिश से समानता रखती है जिसमें सांस्कृतिक प्रभाव भी दिखाई देता है जो पारस्परिक समझ बढ़ती है। सामान्य पर्यटन स्थलों पर तल्लिन फिनिश बोली अथवा समझी जाती है। लिथुआनिया में भी थोड़ी पोलिस बोली जाती है।
चूँकि रूसी उपनिवेशक की भाषा के रूप में समझे जाने के कारण सम्भव है कि इसे अच्छी तरह से प्राप्त न किया जाये। अतः कोशिश करें कि या तो वहाँ की स्थानीय भाषा अथवा अंग्रेज़ी में बात करें। कम से कम अभिवादन करके सामने वाले व्यक्ति से पूछें कि वो रूसी भाषा बोलना पसन्द करते हैं। रूसी भाषा के लिए नकारात्मक प्रतिक्रिया एस्टोनिया और लातविया में देखने को मिलेगी, साथ ही लिथुआनिया में रूसी भाषा का विरोधी भाव कम देखने को मिलता है।
लातवियाई और लिथुआनियाई एक दूसरी से हिन्द-यूरोपीय बाल्टिक भाषा के रूप में एक दूसरे से सम्बंधित हैं। सामान्यतः यह माना जाता है कि बाल्टिक और स्लाविक भाषायें इनकी अन्य शाखाओं की तुलना में हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार से अधिक सम्बन्ध रखती हैं लेकिन अब तक भाषाविद इसपर एकमत नहीं हैं और यहाँ लोगों को समझने अथवा जातीयता से भी इसमें कोई सहायता नहीं मिलती। एस्टोनियाई, फिनिश भाषा से काफी समानता रखती है, जिसका लहजा हंगरियाई भाषा (जो स्पेनी और यूनानी के समान है) के समान है जो बाल्टिक भाषाओं अथवा हिन्द-यूरोपीय भाषाओं से सम्बन्ध नहीं रखता हालांकि इनमें अन्य भाषाओं के शब्द शामिल हैं।
प्रवेश
सम्पादनसभी तीनो देश यूरोप के शेंगेन क्षेत्र के हिस्से हैं।
हवाई यात्रा से
सम्पादनसामान्य तौर पर यूरोप के अन्य भागों से तथा पूर्व सोवियत संघ के पश्चिमी भागों से अच्छे सम्पर्क हैं। कुछ अपवादों के अतिरिक्त बाल्टिक से अन्य स्थानों से जुड़ने के लिए एक बार बदलना पड़ेगा।
रीगा विमानपत्तन (IATA: RIX) बाल्टिक देशों का सबसे व्यस्ततम लातविया का सबसे अधिक लाभ वाला हवाई अड्डा है। यह एयरबाल्टिक का प्रमुख केन्द्र बिन्दु है जो ६० यूरोपीय नगरों सहित मध्य पूर्व से मौसमी मार्गों से जोड़ता है। उज़्बेकिस्तान एयरवेज न्यूयॉर्क (JFK) और ताशकंत मार्ग के मध्य में रीगा पर रुकती है।
टालिन विमानपत्तन (IATA: TLL)
लिथुआनिया में विल्नियस विमानपत्तन (IATA: VNO) पर विज़्ज़ एयर और रायन एयर द्वारा अच्छी सेवा दी जाती है। इसके बाद कौनास विमानपत्तन (IATA: KUN) भी अच्छे सम्पर्क उपलब्ध करवाता है। पलांगा विमानपत्तन छोटे स्थानीय हवाई अड्डे के रूप में लिथुआनिया के पश्चिमी भागों में कुछ मार्गों की सेवा देता है।
नाव से
सम्पादनरेलयात्रा से
सम्पादनरेल जुड़ाव बहुत अच्छे हैं। वारसॉ, कैलिनिनग्राद और बेलारूस के यात्रियों के लिए विल्नुस प्रवेश केन्द्र है। सभी तीनों राजधानियों को प्रतिदिन कम से कम एक रेलगाड़ी मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग से जोड़ती है। ध्यान रहे, विल्नुस से मास्को और कैलिनिनग्राद से विल्नुस होते हुये सेंट पीटर्सबर्ग (विल्नुस से सीधी सेंट पीटर्सबर्ग रेलगाड़ी के साथ भ्रमित न हों) जाने वाली रेलगाड़ियाँ बेलारूस से होकर गुजरती हैं जिसके लिए आपको एक अतिरिक्त विजा की आवश्यकता पड़ सकती है।
यात्रा
सम्पादनहवाई मार्ग
सम्पादनबस से
सम्पादनअन्तर्राष्ट्रीय बस जाल भी सुन्दर रूप से विकसित है जिससे यहाँ का भ्रमण आसान होता है। यदि आपके पास कार नहीं है तो बस यहाँ पर एक नगर से दूसरे नगर में जाने के लिए प्रायोगिक रूप से सबसे अच्छा और तेज वाहक है।
रेल यात्रा से
सम्पादनकिसी भी राजधानी में सीधी रेलसेवा नहीं है, हालांकि सभी देशों में काम में लेने लायक और सस्ता रेलजाल है। रीगा से ताल्लीन का सफर वाल्गा में रेलगाडी बदलकर एक दिन में किया जा सकता है। रीगा से विल्नुस की यात्रा करने के लिए डॉगावपिल्स में एक रात रुकना पड़ता है।
सायकिल से
सम्पादनअन्तर्राष्ट्रीय बाईसायकिल परियोजना, बाल्टिकसायकिल बहुत सारी जानकारी और सहायता उपलब्ध करवा सकती है।
कार से
सम्पादनयदि आप बड़े नगरों के बाहर के स्थानों का भ्रमण करना चाहते हैं तो, आपकी स्वयं की कार अथवा किराये पर लेने का भी विकल्प उपलब्ध है। बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग अच्छे आकार में और लगभग नॉर्डिक देशों से तुलना करने योग्य मार्ग, जिनमें फुटपथ अथव गलियाँ (मुख्यतः छोटे नगरों में) बहुत ही कम हैं।
देखें
सम्पादन- बाल्टिक समूद्र तटों पर बालुई मिट्टी मिलेगी जिसमें कौरोनियन स्पिट भी शामिल है।
- यूरोप के कुछ निम्नतम "उच्चतम राष्ट्रीय स्थान" वोरू के निकट सूर मुनामागी (३१८ मीटर), दक्षिणतम एस्टोनिया, माडोना के निकट गैज़िंकल्न्स (३१२ मीटर), दक्षिणी लिथुआनिया के बेलरूसी सीमा पर मध्य लातविया और औक्स्टोयस (२९४ मीटर) स्थित हैं।
- सभी तीनों राजधानियों में पुराने कस्बों को विश्व धरोहर सूची में रखा गया है।
- भवन और अन्य अवशेश सोवियत संघ के हैं।
- सियुलियाई के निकट पार पहाड़ियाँ।
मार्ग
सम्पादन- बाल्टिका से - एस्टोनिया की राजधानी ताल्लीन से रीगा, लातविया और कौनस, लिथुआनिया से होते हुये वॉरसा, पोलैण्ड तक जाता है।
- बाल्टिक सागर में क्रूज
करो
सम्पादनभोजन
सम्पादनबाल्टिक व्यंजन, नॉर्डिक, रूसी और मध्य यूरोपीय व्यंजनों से समानता रखते हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार की ब्रेड और लगभग सभी प्रकार के भोजन सेवन किया जाता है। सबसे पारम्परिक मादक पेयों में बीयर और वोडका हैं।
पेय
सम्पादनसुरक्षित रहें
सम्पादनआगे जायें
सम्पादन- नॉर्डिक देश - पर्वतों, झीलों, ग्लेशियरों, झरनों, जल-प्रपातों के शानदार दृश्य। वाइकिंग युग (लगभग ८वीं से १०वीं ई॰ संवत्) के लिए जाने जाते हैं।
बाल्टिक समुद्र तटों पर रुकें:
- ग्डांस्क - ऐतिहासिक परशियाई बंदरगाह, बाद में पोलिस आंदोलन मत्यैक्य की जगह बना, जिसने साम्यवाद को झुकाया।
- हेलसिंकी -
- स्टॉकहोम -
- कैलिनिनग्राद -
- सेंट पीटर्सबर्ग -
अथवा द्वीप शीर्ष जैसे:
- मिन्स्क -
- मास्को - रूस की राजधानी, विश्व की सबसे उत्तरी राजधानी जिसमें एक करोड़ से भी अधिक लोग निवास करते हैं और जहाँ बहुत कुछ देखने को मिलता है।
- वारसॉ - कंपकपाने वाली संस्कृति और अच्छा भोजन।