आकांक्षा सक्सेना
भगवान चित्रगुप्त प्रगटोत्सव 31मार्च कायस्थवाहिनी प्रमुख आदरणीय पंकज भैया का मिशन :
सम्पादनविश्व चित्रगुप्त प्रगटोत्सव का आवाह्न :
विश्व चित्रगुप्त प्रगटोत्सव की तैयारियां आरम्भ हो गयी हैं। भगवान चित्रगुप्त जी के अवतरण पर्व देश - विदेश में पुरे हर्षोल्लास के साथ चैत पूर्णिमा के दिन मनता आ रहा है। इस वर्ष यह 31 मार्च को मनाया जायेगा। कायस्थवाहिनी अंतर्राष्ट्रीय ने इसकी भव्य तैयारियों के लिए अपने संगठन से आहवाहन किया है ;
भगवान चित्रगुप्त जी जो प्राणियों के चित्त में गुप्त रूप से विराजित होकर उनके शुभ-अशुभ कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले प्रभु श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण पर्व देश में चैत पूर्णिमा के दिन काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। कहीं प्रभु की मनोरम झाँकी निकलती है, तो कहीं रथयात्रा, कहीं पूजा की जाती है तो कहीं भण्डारा, इस दिन लोग अपने घरों में दीप प्रज्वलित कर पुरे परिवार के साथ प्रभू चित्रगुप्त जी का स्वागत करते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु जी की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया और सभी जीव-जन्तुओं की उतपत्ति की और सृष्टी के संचालन की व्यवस्था की जिम्मेदारी यमराज जी को सौंपी गयी तो उन्होंने अकेले इस पुरे कार्य को सम्पादित करने में असमर्थता जताई। फिर यमराज ने ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि हे ! प्रभु मुझे एक ऐसा सहायक दीजिये जो लेखा-जोखा रखने में निपुण हों, लेखनी पर जिनका अधिपत्य हो, विराट स्वरूप धारी हों, तब ब्रह्मा जी ने यमराज जी की मांग के अनुसार उनका काल्पनिक चित्र हृदय में धारण किये महाकाल की नगरी उज्जैन के शिप्रा नदी के तट पर अंकपात नामक स्थान पर ध्यानमग्न हो गए। 11000 वर्षों की साधना के पश्चात् चैत पूर्णिमा के दिन भगवान श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण हुआ। ब्रह्मा जी के सामने वह प्रकाश पुंज के रूप में विराट स्वरूप, मनोहर छवि लिए, चतुर्भुजरूप धारण किये खड़े हुए प्रभु चित्रगुप्त से ब्रह्मा जी ने पूछा हे ! देव आप कौन हैं ? भगवान श्री चित्रगुप्त ने हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा हे ! परमपिता मैं आपके ही हृदय में विराजित छवि से उत्पन्न हुआ हूँ। आपने जिस कल्पना को अपने हृदय में लेकर साधना की उसी कल्पना के चित्रण से मेरा जन्म हुआ है। ब्रह्मा जी ने उनका नामकरण करते हुए कहा कि हमारे हृदय में आपके चित्रण से आपका जन्म हुआ है तो आपको आज से सारा ब्रह्माण्ड चित्रगुप्त के नाम से जानेगा। आप ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के चित्त में गुप्त रहकर हर प्राणी के कर्मों का लेखा-जोखा रखेंगे और आप ऐसे भगवान होगें जिन्हें कभी आराम करने का समय नही होगा और इस अत्यंत कठिन कार्य को पूरी पार्दर्शिता से केवल आप ही करने में सक्षम हैं। इसीलिये हर सनातन हिन्दू आज चैत्र पूर्णिमा के दिन पूजा भक्ति सत्कर्म करेगा तो वह आपकी कृपा पात्र होगा और कर्मों के बंधनों से मुक्त होगा। चूँकि आप हमारी काया से आप जुड़े हैं तो आपके वंशज कायस्थ के नाम से पहचाने जायेंगे। इसी समय से देश में हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्री चित्रगुप्त प्रगटोत्सव महापर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। भगवान श्री चित्रगुप्त जी की इस महिमा से सर्व समाज एवं विश्व भर में प्रसारित करने में सफल रही कायस्थवाहिनी अंतर्राष्ट्रीय, इसके फलस्वरूप इस प्रगटोत्सव को एक नयी ऊँचाई मिली और यह प्रगटोत्सव पुनः देश में हर्षोल्लास का पर्व बनता जा रहा। कायस्थवाहिनी के प्रयास से साल दर साल इस महापर्व की भव्यता बढ़ती जा रही है। इस वर्ष इस महापर्व को भव्य बनाने एवं जन-जन में मन-मंदिर में स्थापित करने के लिए कायस्थ वाहिनी अन्तर्राष्ट्रीय, प्रमुख पंकज भैया ने वाहिनी के सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को जुट जाने का आवाह्न किया है।
आकांक्षा सक्सेना (वार्ता) ०२:२३, १६ फ़रवरी २०१८ (IST)